फेसबुक की मेहरबानी, एक रची कहानी "गूलर का पेड़ आई हेट"
"फेसबुक कितना भी इस्तेमाल कर लो मन नहीं भरता"- हसमुख अपने मोबाइल की स्क्रीन पर फेसबुक की न्यूज़ पढ़ रहा था लोगो के डेली डाले जाने वाले मीम और पोस्ट बड़े चाओ से देख रहा था। दोमुख, चांदमुखी दोनों हसमुख के उस रिएक्शन को देख रहें थे जिसको पढ़ कर हसमुख कभी हसंता तो कभी गुस्से में बड़बड़ करता। काफी देर हो चुकी थी रात के सायद 1 बजे होंगे। दोमुख से जब रहा नहीं गया तो उसने हसमुख के कंधे पर हाथ मारा और दुसरी और से उसका मोबाइल झपट लिया। -"अरे अरे कौन चोर हैं" -हसमुख घबराया, पीछे मुड़ कर देखा