“मैं कौन हूँ”

मन कुछ कहता हैं , तू कुछ कहता हैं।
मुझे बताओ में किसकी सुनू।
मन की या तू की।
मुझे दर्द हैं , तू सुनता नहीं. मन मानता नहीं।
वो कहता हैं मन की सुन ,
मैं कहती हूँ तू उसकी न सुन।
मन और तू
दोनों वहम हैं
दोनों अपने में बे मतलब हैं
तू मेरी सुन में वो हूँ जो तू नहीं।
मैं तुम हूँ तुम मैं हूँ
इस मन और तू के बीच भूल मत जाना
मैं कौन हूँ।
एक महबूबा हूँ
एक औरत
एक लड़की
एक बहन
एक मां हूँ।