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“मैं लेखक न सही, पर एक चिंगारी तो हूँ”

अभी नया ब्लॉगर बना हूँ. दिल में बहुत कुछ था कहने को, मगर लोगो से कहता डरता था. अब मुझे नया माध्यम मिल गया हैं लोगो तक अपनी बात पहुँचाने का. अब में अपनी ब्लॉग की वेबसाइट बना रहा हूँ पढियेगा जरूर।

इज़हार आलम देहलवी ”

इज़हार आलम, पेशे से आर्टिस्ट हैं पर साथ ही मुझे बचपन से राइटिंग का बोहोत शोक रहा हैं आर्टिस्ट हूँ इस लिए भी कुछ नया करने का ज़ज़्बा रहता हैं बेचैनी रहती हैं मैंने 8 साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था कई पेपर में आर्टिकल भी आते थे फिर में फ़ाइन आर्ट्स करने में बिज़ी हो गया और उसके बाद अपनी पेंटिंग की दुनिया मेँ डूबा रहता और साथ में पेंटिंग पर भी कुछ लिखता रहता था बाद मैंने फैंटेसी जासूसी उपन्यास लिखने शुरू किये ये नॉवल “दक्षि नालंदा का सुपुत्र” लिखा, में चाहता था के एक इंडियन सुपर हीरो बने जो इंडियन मिट्टी में जन्मा और बड़ा हुआ हो यहाँ की संस्कृति उसमें रची बसी हो, जो इंडिया का ही कहलाये, न की बहार देशों की तरह नक़ल बन जाये , बस इसी बेचैनी ने मुझे प्रेरित किया हैं, और इसी बेचैनी से दक्षि का जन्म हुआ, जो इज़हार को कहानी लिखने का तरीका देता हैं उसकी शैली को जन्म देता हैं जासूसी कहानी फैंटेसी कहानी हिस्टोरिकल कहानी आदि टाइप की कहानी लिखने का मुझे बोहोत शोक हैं कभी कभी कॉमेडी कहानी, सोशल मैसेज वाली कहानी भी लिख लेता हूँ लिखने का शोक हैं तो बेचैनी तो रहेगी ही कहानी लिखनी हो या कोई शोसल आर्टिकल लिखना हो. मैं रोज़मर्रा की खबरों से बोहोत विचलित होता गया. आज के हालात पर लिखने को बे-चैन हो गया, और चल पड़ा मैं उन मुद्दों को लिखने जिनको लोग लिखने का हौसला नहीं कर पाते. इन सब बातो को लिखने के लिए मेरा एक ब्लॉग बनाने का तरीका अच्छा लगा।

अभी नया गूगल ब्लॉगर बना हूँ. दिल में बहुत कुछ था कहने को, मगर लोगो से कहता डरता था. अब मुझे नया माध्यम मिल गया हैं लोगो तक अपनी बात पहुँचाने का. और अब में अपनी ब्लॉग की वेबसाइट बना रहा हूँ पढियेगा जरूर।

लेखक

इज़हार आलम दहेलवी

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