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Monkey's Bumble! Because I am a monkey "बंदर का मिमियाना ! कियूँकि मैं एक बन्दर हूँ"




वक़्त क्या क्या करा देता हैं, "मड़रगट्टू" साहब  की न सुनो तो न्यूज़ घरोंदा  बंद करवा देता हैं।  तभी तो मैं  "मड़रगट्टू" साहब का दीवाना हूँ जैसी उनकी सोच वैसी मेरी करनी, देखो में कैसे चिल्लाता हूँ।  क्यूँ? कियूँकि मैं  एक बन्दर हूँ". 

Every tree says something, I have started writing on this subject. Some things happen on the tree. On which there is a story between the leaves and the living birds who tell each other the day-to-day story. They are written in Hindi but will translate it into English, and Urdu too.

बंदर का मिमियाना ! कियूँकि मैं  एक बन्दर हूँ"


एका-एक पेड़ पर टहनियाँ  जोर ज़ोरहिलने लगी और चीखने छिलने की आवाज़आने लगी जो धीरे धीरे तेज और तेज होतीजाती फिर रुक, या धीमे हो जाती। तब पेड़तेजी से हिलने लगता उस पर बैठे पंछी डर जाते जब पेड़ हिलता चिल्लाने से उनके बच्चेडर जाते कुल मिला कर ये  पुरे पेड़ पर अफरा तफरी मची हुई हैं चील ने जब मुएना किया तो देखा कुछ दुरी पर एक बंदरो का झुण्ड हैं। उन झुंडो में हर कोई अपनी बात कहना चाहता हैं पर क्या करे एक दूसरे को बोलने का मौका नहीं मिलता। उन्ही में कुछ बंदरो के नेता चिल्लाना शुरू कर देते हैं और कुछ बंदर इधर उधर दूर पेड़ो को हिलने की कोशिस करते हैं जिससे उन पेड़ो पर लगे पत्ते पंछी कीड़े मकोड़े मधुमखियां सभी परेशान हैं। वक़्त क्या क्या करा देता हैं, "मड़रगट्टू" साहब  की न सुनो तो न्यूज़ घरोंदा  बंद करवा देता हैं। तभी तो मैं "मड़रगट्टू" साहब का दीवाना हूँ जैसी उनकी सोच वैसी मेरी करनी, देखो मैं कैसे चिल्लाता हूँ।

 क्यूँ? कियूँकि मैं एक बन्दर हूँ".

" चील बेहेन ये कौन हैं जो चिल्ला रहे सारे पेड़ो को हिला रहे।"-राम चिरया ने अपने घोसले अपनी चोंच को डरती-डरती चील से पूछती हैं कियुँ की चील ही यहा पर ताक़तवर और चतुर पंछी हैं।  

चील ने कोई जवाब नहीं दिया। चूकि वो चील भी उसी तरह डरी हुई थी। मगर वो बताना किसी को नहीं चाहती थी।  लेकिन वहा के सभी परिंदे, पत्ते, कीड़े-मकोड़े, चील को अपना नेता मानते थे। नेता जी कुछ क्या बतियाते उनको तो वो बंदर कुछ कुछ समझे तो, तो वो बोले।  बंदरो की सेना जो हैं डराने को को।   

अब बंदरो ने तेज-तेज आवाज निकलने के साथ साथ उछल कूद करनी और तेज़ कर दी। बंदरो की अवाज इतनी कान-फाडू थी के आस पास के लोगो जब ने जब तेज आवाज़ आनी शुरू होती तो वो सब अपने कान और खिड़कियां बंद करना शुरू कर दिया करते। "अरे हसमुख आज तो ये ललन के साथ साथ उसके पडोसिओ ने भी अपना अपना टीवी और खिड़की दोनों बंद कर लिये हैं"-बुल बुल दो मुख पर तंज कसा - "लकिन बुल बुल दोमुखी को देखो वो अब भी उन बंदरो को देखे जा रहा हैं उसका टीवी अब भी खुला हैं "- हां कुछ हैं इस पेड़ पर अभी अंधभगत "-राम चिरया ने मायूसी भरे अंदाज में कहा था।  

"जरा उधर देखो उन सभी का साँस फूलने लगा हैं सभी धीरे धीरे आवाज़ नीची करते जा रहे और पेड़ भी कम हिला रहे, मगर उस सुकड़ से बंदर को देखो जो इनका नेता बनने की सोच रहा हैं उसका मिमियाना अभी बंद नहीं हुआ पिछले १ घंटे से वो मिमियारा हैं आवाज बकरी की हैं मगर शेर की आवाज़ समझ रहा हैं "-चील मुस्कुराई और दूर  देखने लगी अपना धियान किसी और तरफ लगा लिया। मगर ये कभी उस कबूतर की बात करता हैं अभी कबूतरी की आज तो ये सबसे ज्यादा फेमस खूबसूरत कबूतर की चर्चा कर रहा हैं वो कबूतर जिसकी उड़ान , जिसके गुनगुनाने को सुन लाखो परिंदे दीवाने हैं सायद ये जानता नहीं कही उल्टा न पद जाये। तभी बुल बुल बोली -"अरे हा मेने कई बार इसकी हरकत देखि हैं कभी ये पागल हो जाता हैं कभी ये नशा मांगता हैं अभी धमकाता हैं आज तो ये एक कबूतर को सीधी धमकी दे  रहा हैं"- " क्या कहा इसने "राम चिरया - " इसने धमकाया हैं उसी कबूतरों के भाई के नाम जाने जाने वाला कबूतर को जिसकी अदारी में नो 1 हैं जिसका सिक्का अदाकारी महफ़िल में अव्वल माना जाता हैं". 

देखना हैं आप सभी को?, क्या कह रहा हैं ये बंदर?, बड़ा मज़ा आएगा?, इस बंदर का नाच देख कर !"

- सभी एक साथ "चिल्लाये  हां हां दिखो ना बोहोत दिनों से हसे नहीं हम।"  



लेखक 

इज़हार आलम देहलवी 

writerdelhiwala.com 

कॉपीराइट :-लेखक की बिना लिखित अनुमति के किसी भी प्रकार का शब्दों का क्रेक्टरो का या थीम का किसी भी या मिलती जुलती सावन का इस्तेमाल न करे।  धन्यवाद। 

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